MLA Kamlesh dodiyar झोपड़ी से विधानसभा तक कैसे पहुंचा

MLA Kamlesh dodiyar छोटी सी झोपडी में रहने वाले कमलेश्वर को मिला भोपाल में बंगलो –

क्या आप जानते है की देश में एक विधायक ऐसे भी है जो छोटी सी झोपड़ी में रहते है, यहा तक की उनके पास कोई यातायात साधन भी नही है। हम बात कर रहे हैं कमलेश डोडियार की जो की 2023 के लोकसभा चुनाव में विधायक चुने गए, इनका जीवन बहुत संघर्षों में बिता है और कड़ी मेहनत करके आज इस जगह पर पहुंचे हैं। तो बात करते हैं कमलेश के मजदूरी करने से लेकर विधायक बनने तक की कहानी की।
कमलेश्वर की ज़िंदग़ी बहुत ही संघर्ष भरी रही है, उनके माता-पिता मज़द़ूरी करके अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते है, कमलेश्वर ने भी अपने माता पिता के साथ मज़दूरी की है। यहा तक की कमलेश ने वेटर का काम भी किया है।

3 दिसंबर को जिस दिन चुनाव के परिणाम आने थे उसे दिन भी कमलेश की माताजी मजदूरी करने गई थी, कमलेश की माता जी को मजदूरी के लिए प्रतिदिन ₹200 मिला करते थे लेकिन कभी-कभी ₹300 भी मिल जाया करते थे। कमलेश ने बताया कि मैने जिस दिन जीत हासिल की उसी दिन मैंने फैसला कर लिया था कि अब मैं अपनी माताजी को कभी मजदूरी करने नहीं दूंगा इसलिए अब उन्होंने मजदूरी करना छोड़ दिया है, कमलेश के पिताजी भी मजदूरी करने जाते थे लेकिन उनका हाथ टूट जाने के कारण उन्होंने अभी मजदूरी करना बंद कर दिया था। कमलेश का पूरा परिवार मजदूरी करता था कमलेश के परिवार में उनके 6 भाई और तीन बहने हैं। कमलेश के परिवार वाले और कमलेश मजदूरी के लिए राजस्थान और गुजरात भी जाया करते थे

कमलेश की शिक्षा–
उन्होंने पांचवीं तक की पढ़ाई अपने गांव में ही की, 8वीं तक की पढ़ाई उन्होंने सैलाना में की, 12वीं की पढ़ाई उन्होंने रतलाम से की थी, वहीं से उन्होंने बीए अंग्रेज़ी में किया और फिर एलएलबी करने के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी का गए।
कमलेश्वर ने 2006 में 11वीं की परीक्षा के बाद पहली बार मज़दूरी की थी, उस समय वो राजस्थान के कोटा में अपनी मां के साथ मज़दूरी करने गए थे, तब तकरीबन उन्होंने तीन से चार महीने तक मजदूरी की थी कमलेश को भी ₹200 प्रतिदिन मिला करते थे, कमलेश ने बताया कि उनके परिवार में सिर्फ सवा बीघा जमीन है इसलिए मजदूरी करना उनकी मजबूरी है क्योंकि इतनी जमीन में परिवार का भरण पोषण कर पाना मुमकिन नहीं है कमलेश की पढ़ाई में भी दिक्कतें आर्थिक तंगी के कारण ही आई इसलिए उन्होंने मजदूरी की,
इसके बाद उन्होंने रतलाम के एक होटल में वेटर का भी काम किया. उन्होंने कई अन्य जगहों पर भी मज़दूरी की है।

एक इंटरव्यू में कमलेश ने बताया कि वह अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से काफी ज्यादा प्रभावित हुए हैं उनका जीवन संघर्ष काफी हद तक उनके जीवन से मिलता जुलता हे बराक ओबामा ने भी काफी किस्म के भेदभाव का सामना किया और फिर उसे मुकाम तक पहुंचे।

कमलेश्वर अपने काम के पक्के हैं और अपने समाज का दर्द समझते हैं और उसमें बदलाव लाना चाहते है, यही वजह है कि आदिवासी समुदाय के हक़ की ल़ड़ाई में उन पर कुछ अपराधिक मामलें भी दर्ज हुए.”बता दे की कमलेश पर 16 मुकदमे चल रहे हैं और वह 11 बार जेल जा चुके हैं कमलेश्वर कहते हैं कि वो आगे भी आदिवासियों की लड़ाई लड़ते रहेंगे और उनके हित में काम करेंगे। कमलेश पहले 2 बार लोकसभा चुनाव हार चुके है लेकिन इस बार उन्हें पहले से पता था कि न सिर्फ वो चुनाव लडेंगे बल्कि जीतेगे भी जब कमलेश को विधायक बनने के बाद भोपाल बुलाया गया तब उनके पास जाने के लिए कोई साधान नही था, भोपाल आने के लिए कार नहीं मिली तो उन्होंने अपने बहनोई की मोटरसाइकिल से ही भोपाल पहुंचने का सोचा, कमलेश्वर ने अपने गांव से भोपाल तक 330 किलोमीटर का रास्ता 9 घंटे में बाइक से पूरा किया।

भोपाल पहुंचने पर जब उनसे पूछा गया कि इतनी दूर बाइक से आने में उन्हें परेशानी तो नहीं हुई? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इस तरह की यात्रा की उन्हें आदत है। कमलेश भोपाल में शिवराज सिंग चौहान के साथ और भी कई नेताओं से मिले। शिवराज सिंह चौहान ने कमलेश को मिठाई खिलाकर विधायक बनने की बधाई दी।
कमलेश ने विधानसभा पहुंच कर सबसे पहले गेट पर नतमस्तक हुए फिर आगे की सारी प्रक्रियाएं की।

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