Increasing heart attack cases in india ठंड के मौसम में क्यों बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा?
हार्ट अटैक आने पर क्या करे जाने यहां 👇
महत्वपूर्ण जानकारी जिसे हर व्यक्ति को जानना जरूरी होता है, कृपया ध्यान से पूरा पोस्ट पढ़े।
सर्दी के मौसम में कई तरह की स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं होती हैं, हार्ट अटैक भी उन्हीं में से एक है। काफी लोगों के मन में यह प्रश्न आता है कि सर्दी के मौसम में ही हार्ट अटैक का खतरा क्यों होता है। इसका सबसे आसान जवाब यह है कि सर्दी के मौसम में ठंड के कारण नसें सिकुड़कर सख्त बन जाती हैं।
हालाँकि, इन्हें सक्रिय यानी एक्टिव करने के लिए ब्लड फ्लो बढ़ता है। ब्लड फ्लो बढ़ने पर ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है। इसके कारण दिल पर दबाव पड़ता है जिससे हार्ट अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है।
हृदय रोग विशषज्ञों का कहना है कि रात में सोते समय शरीर की गतिविधि धीमी हो जाती है। साथ ही, ब्लड प्रेशर और शुगर का स्तर भी कम हो जाता है। लेकिन सुबह उठने से पहले ही शरीर का ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम उसे सामान्य स्तर पर लाने का काम करता है।
ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम हर मौसम में काम करता है, लेकिन सर्दी के मौसम में इस सिस्टम के लिए दिल को सामान्य की तुलना में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इस वजह से जिन्हें पहले से दिल की बीमारी होती हैं उन्हें हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
लक्षण –
आपको हार्ट अटैक से 1 महीने पहले ही नींद में दिक्कत होती है।
अत्यधिक थकान सा रहता है।
सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
कमजोरी आने लगती है और अधिक चिपचिपा पसीना आता है।
सावधानी बरतें –
सर्दियों में हार्ट अटैक रोकने के लिए सुबह पानी कम पिएं और वॉक करने से बचें;
नमक कम लें
ज्यादा पानी न पिएं दिल का एक काम शरीर में मौजूद रक्त के साथ लिक्विड को पम्प करने का भी होता है। …
नमक कम से कम खाएं …
न सुबह जल्दी उठें और न जल्दी सैर पर जाएं .
धूम्रपान न करें
स्वस्थ आहार खाएं …
अच्छे नींद लें …
तनाव से बचें …
स्वस्थ वजन बनाए रखें.
माइनर हार्ट अटैक क्या होता है –
अगर किसी वक्त आपको अचानक सांस लेने में परेशानी हुई है और साथ में छाती में भी दर्द उठा है तो ये संकेत हैं कि शायद माइनर हार्ट अटैक आया था!
इससे बचने के लिए क्या खाए –
ओट्स, जौ, ब्राउन राइस का सेवन कर सकते हैं।
हार्ट अटैक के बाद फल और सब्जियों का सेवन करना अच्छा माना जाता है।
इनमें डायटरी फाइबर भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, हालांकि, फलों का जूस पीने की बजाय फल खाने चाहिए।
हार्ट अटैक आने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह से क्या किया जाता है–
जीभ के नीचे सॉर्बिट्रेट एस्पिरिन टैबलेट (aspirin tablet 300 mg) या क्लोपिडोग्रेल (Clopidogrel 300 mg) या फिर एटोरवास्टेटिन (Atorvastatin 80 mg) टेबलेट आराम से दबाए रखें. अगर इन चीजों को हार्ट अटैक आने के 30 मिनट के अंदर किया जाए तो इसका तुरंत फायदा मिलेगा. एस्पिरिन ब्लड क्लॉट होने से रोकता है.
अगर आप घर या किसी भी जगह पर अकेले हैं और आपको अपने सीने या फिर शरीर में किसी भी तरह का असहज महसूस हो रहा है, तो तुरंत अपने किसी करीबी, दोस्त और एंबुलेंस को बुलाकर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. हार्ट अटैक आने के 30 मिनट के अंदर आप जीभ के नीचे सॉर्बिट्रेट एस्पिरिन की टैबलेट दबाकर रखें।
हार्ट अटैक का दर्द कहाँ होता है?
हार्ट अटैक का दर्द सीने के बीच से आपके जबड़ों, गर्दन और बायीं तरफ में हाथ में फैलता महसूस होता है. इस बीच किसी काम को करने या वजन उठाने से दर्द बढ़ जाता है. जबकि सामान्य दर्द या गैस के दर्द में ऐसा नहीं होता है।
समय समय पर ये चांचे जरूर करवाएं –
1- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG/EKG) …
2- स्ट्रेस टेस्ट …
3- इकोकार्डियोग्राम …
4- कार्डियक कैथीटेराइजेशन …
5- ब्लड टेस्ट …
6- सीटी स्कैन या MRI.
Emergency treatment –
CPR क्या होता है?
सीपीआर की फुल फॉर्म कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन होती है, सीपीआर एक इमरजेंसी लाइफ सेवर प्रक्रिया है जिसे तब किया जाता है जब दिल धड़कना बंद कर देता है, हार्ट ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, कार्डिएक अरेस्ट के बाद तत्काल सीपीआर देने से बचने की संभावना दोगुनी या तिगुनी हो जाती है।
कब दिया जाता है CPR–
आपातकालीन स्थिति में किया जाता है यदि कोई व्यक्ति सामान्य रूप से सांस नहीं ले रहा है, या उसका हृदय रुक गया है , अगर किसी पीड़ित को दिल का दौरा पड़ जाय तो सबसे महत्वपूर्ण है कि प्राथमिक चिकित्सा देने वाला व्यक्ति खुद ना घबराए और पूरा धैर्य रखे। किसी भी तरह की फर्स्ट एड देने से पहले एंबुलेंस को कॉल करे या फिर हॉस्पिटल को सूचित करे की आप बहुत ही कम समय में हार्ट अटैक के मरीज को लेकर वहां पहुंचने वाले हैं।
पीड़ित के हाल की जांच तुरंत करें। ये देखने की कोशिश करें कि मरीज होश में है कि नहीं। उसकी सांस चल रही है कि नहीं। अगर उसकी सांस चल रही है तो मरीज को आराम से बिठायें और उसे रिलैक्स कराएं। मरीज के कपड़ो को ढीला कर दे। अगर मरीज को पहले से ही हार्ट की समस्या है और वो कोई दवाएं लेता हो , तो पहले उसे वही दवा दें जो वो लेता रहा है।
यदि मरीज को होश नहीं आ रहा हो, उसके दिल की धड़कने बंद हो गयी हो या साँस नहीं चल रही हो तो सीपीआर प्रक्रिया अपनाएं।
कैसे दिया जाता है–
सीपीआर क्रिया करने में सबसे पहले पीड़ित को किसी ठोस जगह पर लिटा दिया जाता है और प्राथमिक उपचार देने वाला व्यक्ति उसके पास घुटनों के बल बैठ जाता है।
उसकी नाक और गला चेक कर ये सुनिश्चित किया जाता है कि उसे सांस लेने में कोई रुकावट तो नहीं है। जीभ अगर पलट गयी है तो उसे सही जगह पर उंगलियों के सहारे लाया जाता है।
सीपीआर में मुख्य रुप से दो काम किए जाते हैं। पहला छाती को दबाना और दूसरा मुँह से सांस देना जिसे माउथ टु माउथ रेस्पिरेशन कहते हैं। पहली प्रक्रिया में पीड़ित के सीने के बीचोबीच हथेली रखकर पंपिंग करते हुए दबाया जाता है। एक से दो बार ऐसा करने से धड़कनें फिर से शुरू हो जाएंगी। पंपिंग करते समय दूसरे हाथ को पहले हाथ के ऊपर रख कर उंगलियो से बांध लें अपने हाथ और कोहनी को सीधा रखें।
अगर पम्पिंग करने से भी सांस नहीं आती और धड़कने शुरू नहीं होतीं तो पम्पिंग के साथ मरीज को कृत्रिम सांस देने की कोशिश की जाती है।ऐसा करने के लिए हथेली से छाती को 1 -2 इंच दबाएं, ऐसा प्रति मिनट में 100 बार करें। सीपीआर में दबाव और कृत्रिम सांस का एक खास अनुपात होता है। 30 बार छाती पर दबाव बनाया जाता है तो दो बार कृत्रिम साँस दी जाती है। छाती पर दबाव और कृत्रिम साँस देने का अनुपात 30 :02 का होना चाहिए। कृत्रिम सांस देते समय मरीज की नाक को दो उंगलियों से दबाकर मुंह से साँस दी जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि नाक बंद होने पर ही मुंह से दी गयी सांस फेफड़ों तक पहुंच पाती है।
सांस देते समय ये ध्यान रखना है कि फर्स्ट एड देने वाला व्यक्ति लंबी सांस लेकर मरीज के मुंह से मुंह चिपकाए और धीरे धीरे सांस छोड़ें। ऐसा करने से मरीज के फेफड़ों में हवा भर जाएगी। इस प्रक्रिया में इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि जब कृत्रिम सांस दी जा रही है तो मरीज की छाती ऊपर नीचे हो रही है या नहीं। ये प्रक्रिया तब तक चलने देनी है जब तक पीड़ित खुद से सांस न लेने लगे। जब मरीज खुद से साँस लेने लगे, तब ये प्रकिया रोकनी होती है।