Article 370 हमेशा के लिए चला गया क्या है धारा 370 ?

Article 370 हमेशा के लिए चला गया
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आर्टिकल 370 का क्या हुआ आईए जानते हैं
जम्मू कश्मीर के आर्टिकल 370 को लेकर नरेंद्र मोदी का बड़ा बयान सामने आया है , जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 के हटाए जाने के केंद्र सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मुहर लगाई थी, इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग पिछले 7 दशकों से अपने अधिकारों से वंचित रहे, जबकि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि ये एक दिन खत्म हो जाएगा। जम्मू-कश्मीर के लोग खासकर महिलाएं अपने अधिकारों से पिछले सात दशकों तक वंचित रहे लेकिन अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोग अपने हाथों से अपनी किस्मत बनाने के लिए आजाद हैं.”

PM Modi ने 2047 तक देश को विकसित बनाने का फार्मूला दिया है ” GYAN ”
जिसमें G का मतलब गरीब
Y का मतलब युवा
A का मतलब अन्नदाता और
N का मतलब नारी शक्ति है
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर ज्ञान पर ध्यान देंगे और ज्ञान को सम्मान देंगे तो विकसित भारत बनेगा।

क्या है आर्टिकल 370 ?
अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर के निवासियों की नागरिकता, संपत्ति के स्वामित्व और मौलिक अधिकारों का कानून, शेष भारत में रहने वाले निवासियों से अलग था। अनुच्छेद-370 के तहत, अन्य राज्यों के नागरिक जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकते थे। अनुच्छेद-370 के तहत, केंद्र को राज्य में वित्तीय आपातकाल घोषित करने की शक्ति नहीं थी। भारत के संविधान में 17 अक्तूबर, 1949 को अनुच्छेद 370 शामिल किया गया था। यह जम्मू-कश्मीर को भारत के संविधान से अलग रखता था। इसके तहत राज्य सरकार को अधिकार था कि वो अपना संविधान स्वयं तैयार करे। साथ ही संसद को अगर राज्य में कोई कानून लाना है तो इसके लिए यहां की सरकार की मंजूरी लेनी होती थी।

जवाहरलाल नेहरू द्वारा जम्मू-कश्मीर के एक नेता पं॰ प्रेमनाथ बजाज को 21 अगस्त 1962 में लिखे हुए पत्र से यह स्पष्ट होता है कि उनकी कल्पना में भी यही था कि कभी न कभी धारा 370 समाप्त होगी। पं॰ नेहरू ने अपने पत्र में लिखा है-‘‘वास्तविकता तो यह है कि संविधान का यह अनुच्छेद, जो जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा दिलाने के लिये कारणीभूत बताया जाता है, उसके होते हुए भी कई अन्य बातें की गयी हैं और जो कुछ और किया जाना है, वह भी किया जायेगा। मुख्य सवाल तो भावना का है, उसमें दूसरी और कोई बात नहीं है। कभी-कभी भावना ही बडी महत्त्वपूर्ण सिद्ध होती है।’’

धारा 370 का विरोध –
इस धारा का विरोध कांग्रेस पार्टी में नेहरू के समय में ही होने लगा था,
संविधान निर्माता और भारत के पहले कानून मंत्री भीमराव आम्बेडकर अनुच्‍छेद 370 के धुर विरोधी थे। उन्‍होंने इसका ड्राफ्ट तैयार करने से मना कर दिया था। आंबेडकर के मना करने के बाद शेख अब्‍दुल्‍ला नेहरू के पास पहुंचे और नेहरू के निर्देश पर एन. गोपालस्‍वामी अयंगर ने मसौदा तैयार किया था। भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने शुरू से ही अनुच्छेद 370 का विरोध किया। उन्होने इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने का बीड़ा उठाया था। उन्होंने कहा था कि इससे भारत छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट रहा है। मुखर्जी ने इस कानून के खिलाफ भूख हड़ताल की थी। वो जब इसके खिलाफ आन्दोलन करने के लिए जम्मू-कश्मीर गए तो उन्हें वहां घुसने नहीं दिया गया। वह गिरफ्तार कर लिए गए थे। 23 जून 1953 को हिरासत के दौरान ही उनकी रहस्यमत ढंग से मृत्यु हो गई।


प्रकाशवीर शास्त्री ने अनुच्छेद 370 को हटाने का एक प्रस्ताव 11 सितम्बर, 1964 को संसद में पेश किया था। इस विधेयक पर भारत के गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने 4 दिसम्बर, 1964 को जवाब दिया। सरकार की तरफ से आधिकारिक बयान में उन्होंने एकतरफा रुख अपनाया। जब अन्य सदस्यों ने इसका विरोध किया तो नन्दा ने कहा, “यह मेरा सोचना है, अन्यों को इस पर वाद-विवाद नहीं करना चाहिए।” इस तरह का एक अलोकतांत्रिक तरीका अपनाया गया। नंदा पूरी चर्चा में अनुच्छेद 370 के विषय को टालते रहे। वे बस इतना ही कह पाए कि विधेयक में कुछ क़ानूनी कमियां हैं। जबकि इसमें सरकार की कमजोरी साफ़ दिखाई देती हैं। हिन्दू महासभा, भारतीय जनसंघ, भारतीय जनता पार्टी और शिव सेना शुरू से ही इसे हटाने की मांग करते आये हैं। अन्ततः यह धारा अगस्त 2019 में समाप्त कर दी गयी।

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