आइए आज बात करते है उन वैज्ञानिकों की जिनके कारण “Chandrayaan 3 ” चंद्रमा के साउथ पोल पर सफलतापूर्व लैंड हो सका।–
रूस ने भी चंद्रमा पर अपना मिशन लूना-25 भेजा था और उसे चंद्रयान-3 से दो दिन पहले ही सतह पर उतरना था लेकिन वो क्रैश हो गया, ऐसे में भारत की कामयाबी की पूरी दुनिया में तारीफ़ हुई। जानते है इस सफलता के पीछे जी जान से रात दिन मिशन की तैयारी करने वाले वैज्ञानिकों के बारे में।
S Somnath – एस. सोमनाथ एक भारतीय एयरोस्पेस इंजीनियर और रॉकेट तकनीशियन हैं। जनवरी 2022 में के. सिवन के बाद सोमनाथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष चुने गए। इससे पहले, सोमनाथ में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक थे और तिरुवनंतपुरम में तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र के निदेशक भी थे। इसरो के चेयरमैन का पूरा नाम श्रीधर परिकर सोमनाथ है. डॉ सोमनाथ ने 1985 में विक्रम सारा भाई स्पेस सेंटर ज्वाइन किया था, सोमनाथ को प्रक्षेपण यान डिजाइन में उनके योगदान के लिए जाना जाता है, सोमनाथ को वाहन डिजाइन शुरू करने का श्रेय दिया जाता है, विशेष रूप से लॉन्च वाहन सिस्टम इंजीनियरिंग, संरचनात्मक डिजाइन, संरचनात्मक गतिशीलता और आतिशबाज़ी बनाने की विद्या के क्षेत्र में।
P वीरमुथुवेल –, वीरमुथुवेल जोकि चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर थे। चंद्रयान-3′ के मास्टरमाइंड पी वीरमुथुवेल उन्होंने चंद्रमा की सतह पर ऐतिहासिक सॉफ्ट-लैंडिंग को सफलतापूर्वक संचालित किया था। रेलवे तकनीशियन के बेटे वीरमुथुवेल ने बड़ा दिल दिखाते हुए अपने अल्मा मेटर को 25 लाख रुपये दान कर दिए। उन्होंने 2019 से 2023 तक चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट के चलते एक भी छुट्टी तक नहीं ली।1
पी वीरमुथुवेल वह शख्स हैं जिनके ऊपर चंद्रयान-3 मिशन की पूरी जिम्मेदारी है। चंद्रयान-3 मिशन के पीछे पूरा माइंड पी वीरमुथुवेल का ही है। पी वीरमुथुवेल वर्तमान में चंद्रयान-3 मिशन के परियोजना निदेशक का पद संभाल रहे हैं।
पी वीरमुथुवेल तमिलनाडु के विल्लुपुरम के रहने वाले हैं। पी वीरमुथुवेल ने 7 सितंबर 2019 को चंद्रयान -2 लैंडर के चंद्रमा पर सॉफ्ट-लैंडिंग में विफल होने के बाद चंद्रयान मिशन के निदेशक के रूप में एम वनिता की जगह ले ली।
M Shankaran – यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर
एम शंकरन यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के प्रमुख हैं और उनकी टीम इसरो के लिए भारत के सभी उपग्रहों को बनाने की ज़िम्मेदारी निभाती है। चंद्रयान-1, मंगलयान और चंद्रयान-2 सैटेलाइट के निर्माण में शंकरन शामिल रहे। चंद्रयान तीन उपग्रह का तापमान संतुलित रहे, इस बात को सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी शंकरन की थी। असल में सैटेलाइट के अधिकतम और न्यूनतम तापमान की टेस्टिंग एक पूरी प्रक्रिया का बेहद अहम हिस्सा होता है। उन्होंने चंद्रमा के सतह का प्रोटोटाइप तैयार करने में मदद की जिस पर लैंडर के टिकाउपन का परीक्षण किया गया, M Shankaran कम्युनिकेशन, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, मेटीरियोलॉजी और दूसरे ग्रहमों पर खोज जैसे क्षेत्रों में अहम भूमिका निभाते हैं। जून 2021 में उन्होंने इसरो के लिए सभी सैटेलाइट के डिज़ाइन और डेवलपमेंट की जिम्मा देखने वाले सेंटर के प्रमुख का पद संभाला था।
कल्पना – कल्पना ने चंद्रयान-3 टीम का नेतृत्व किया, उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान भी दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ सारी चुनौतियों का सामना करते हुए मिशन के काम को आगे बढ़ाया और लगातार मिशन की तैयारियों में लगी रही।
भारत के सैटेलाइन प्रोग्राम के पीछे इस प्रतिबद्ध इंजीनियर की बड़ी भूमिका रही है।
कल्पना ने चंद्रयान-2 और मंगलयान मिशन में भी मुख्य भूमिका निभाई है।
कल्पना ने पत्रकारों से कहा, “सालों से जिस मक़सद को हम हासिल करना चाह रहे थे और हमें इस पल का इंतज़ार था, आज हमने बिल्कुल सटीक परिणाम हासिल किया.”
“ये मेरे और मेरी टीम के लिए सबसे यादगार पल है, हमने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया.”
मोहन कुमार – मिशन डायरेक्टर
एस मोहन कुमार विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं और चंद्रयान-3 मिशन के डायरेक्टर हैं।
मोहन कुमार एनवीएम3-एम-3 मिशन के तहत वन वेब इंडिया 2 सैटेलाइट के सफल व्यावसायिक लॉन्च में भी डायरेक्टर के तौर पर काम कर चुके हैं।
मोहन कुमार ने कहा, “एलएम3-एम04 ने एक बार फिर सिद्ध किया कि वो इसरो का हैवी लिफ़्ट व्हीकल है, इसरो परिवार को टीमवर्क के लिए बधाई.”
S उन्नीकृष्णनन नायर– विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, डायरेक्टर
एस उन्नीकृष्णन नायर केरल के तिरुअनंतपुरम के थुम्बा विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के प्रमुख हैं।
वो और उनकी टीम इस अहम मिशन के मुख्य संचालन के लिए ज़िम्मेदार थी।
A राजाराजन– लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड के प्रमुख
ए राजाराजन सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा के डायरेक्टर और वैज्ञानिक हैं।
मानव अंतरिक्ष मिशन प्रोग्राम – गगनयान और एसएसएलवी के मोटर को लेकर काम करते हैं।
लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड असल में लॉन्च की हरी झंडी देता है।
इसरो के मुताबिक चंद्रयान तीन मिशन में 54 महिला इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया